भले
हूँ
बेख़बर
लेकिनहिंदी
ग़ज़ल
संग्रहरामनाथ
यादव
बेख़बर
ग़ज़ल का जूनून लगातार पाठकों के दिलों पर छाते हुए देखकर सुख का गहरा अनुभव होता है लेकिन यह अनुभव और गहराई तक सुख देता है, जब कोई नया ग़ज़लकार लगातार अपनी ग़ज़लों को सँवार, ख़ुद को तराशता है। रामनाथ 'बेख़बर' में यह तराश मैं क़रीब 3 साल से नि..